दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर मंगलवार को पलटवार किया है. वित्त मंत्री ने कहा कि बजट तैयार करने के दौरान किसी ने पिता खोया तो किसी ने बेटा. सीतारमण ने कहा कि हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए भावनात्मक मामला है और इसकी आलोचना उनका ‘अपमान करना’ है.सीतारमण ने लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘हलवा सेरेमनी उस समय से चल रहा है जब से वित्त मंत्रालय का प्रीटिंग प्रेस मिंटो रोड में हुआ करता था. हमारे देश में कोई भी अच्छा काम करने से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा है. इसकी आलोचना करना बजट की तैयारियों से जुड़े कमर्मचारियों का मजाक उड़ाना और उनका अपमान करना है.’’संसद में राहुल गांधी का हलवा सेरेमनी पर तंजराहुल गांधी ने सोमवार को बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया था कि 20 अधिकारियों ने देश का बजट बनाने का काम किया है, लेकिन इनमें से सिर्फ एक अल्पसंख्यक और एक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) हैं और उनमें एक भी दलित एवं आदिवासी नहीं है. इसके साथ ही राहुल ने बजट से पहले की हलवा रस्म का जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘इस सरकार में 2-3 फीसदी लोग ही हलवा तैयार कर रहे हैं और उतने ही लोग हलवा खा रहे हैं और शेष हिंदुस्तान को यह नहीं मिल रहा है.’’
राहुल गांधी का बयान कर्मचारियों का अपमान
सीतारमण ने इस आरोप के जवाब में कहा, ‘‘हलवा सेरेमनी के बाद इससे जुड़े कर्मचारी बजट जारी नहीं होने तक बाहर नहीं आते हैं. पहले उन्हें 9 दिन और 8 रात अलग-थलग गुजारनी पड़ती थीं, लेकिन अब उन्हें 5 रात और 4 दिन सबसे दूर रहना होता है. वे बजट के बाद ही बाहर आ पाते हैं. बजट की गोपनीयता के लिए ऐसा करना जरूरी होता है.’’ उन्होंने इस बजट की तैयारियों से जुड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘डिप्टी मैनेजर कुलदीप शर्मा पिता के निधन के बावजूद बजट तैयारियों में शामिल हुए और बाहर नहीं निकले. इसी तरह सुभाष अपने बेटे का निधन होने के बाद भी बाहर नहीं आए. राहुल गांधी का बयान ऐसे कर्मचारियों का अपमान है.’’
बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का आखिरी चरण
हलवा सेरेमनी को बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का आखिरी चरण माना जाता है. यह केंद्र सरकार के बजट की तैयारी में शामिल वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को ‘अलग रखने’ की प्रक्रिया है. इस तरह वे कुछ दिनों के लिए बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग हो जाते हैं. ये अधिकारी और कर्मचारी संसद में बजट पेश होने तक नॉर्थ ब्लॉक (वित्त मंत्रालय का दफ्तर) के ‘बेसमेंट’ में ही रहते हैं. वहां पर पूरी गोपनीयता रखी जाती है. वित्त मंत्री के लोकसभा में अपना बजट भाषण पूरा करने के बाद ही वे बाहर निकलते हैं.