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आज अहमदाबाद की सड़कों पर एक अजीब सी खामोशी पसरी है। वो शहर, जो हमेशा अपनी रौनक, अपने हौसले और अपनी जिंदादिली के लिए जाना जाता है, आज चुप है। हर आंख में नमी है, हर दिल में एक अनकहा दर्द। एयर इंडिया के विमान हादसे ने न सिर्फ 265 जिंदगियों को छीन लिया, बल्कि इस शहर के दिल को भी गहरे जख्म दिए हैं। वो मंजर, वो चीखें, वो धुआं… सब कुछ अभी भी लोगों की आंखों में कैद है। लेकिन इस दर्द के बीच, अहमदाबाद की गलियों में कुछ पोस्टर उभरे हैं, जो कह रहे हैं, ‘हौसला रखना अहमदाबाद… ये शहर उतना ही टूटा है, जितना वो विमान।’

एक हादसा, जिसने सबको तोड़ दिया

गुरुवार का वो काला दिन, जब आसमान से आग बरसी और अहमदाबाद की धरती खून से लाल हो गई। एयर इंडिया का विमान इतनी जोर से टकराया कि उसका मलबा चारों ओर बिखर गया। 241 यात्री और 24 बेकसूर लोग, जो उस वक्त वहां मौजूद थे, इस हादसे की भेंट चढ़ गए। सिविल अस्पताल में शवों की कतारें हैं, DNA टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है, क्योंकि कई शवों की पहचान करना भी मुश्किल हो गया है। इस हादसे ने न सिर्फ परिवारों को उजाड़ा, बल्कि पूरे शहर को सदमे में डुबो दिया।

सोचिए, उन लोगों का क्या, जिन्होंने ये सब अपनी आंखों से देखा? वो मांएं, जो अपने बच्चों को गोद में लिए खड़ी थीं, वो बच्चे, जो अपने माता-पिता का इंतजार कर रहे थे, वो लोग, जो सिर्फ अपने रोजमर्रा के काम में लगे थे। सबके सामने मौत ने ऐसा तांडव किया कि हर कोई स्तब्ध रह गया।

पोस्टर, जो बने शहर के हौसले की आवाज

लेकिन अहमदाबाद वो शहर है, जो टूटकर भी हार नहीं मानता। इस दुख की घड़ी में शहर की गलियों में कुछ पोस्टर नजर आए, जिन्होंने लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की। ‘हौसला रखना अहमदाबाद’—ये शब्द सिर्फ कागज पर लिखे नहीं हैं, ये हर उस दिल की पुकार हैं, जो इस हादसे से टूटा है। कौशिक आउटडोर ने गुरुवार रात शहर के 25 अलग-अलग इलाकों में ये पोस्टर लगाए। इन पोस्टरों का मकसद है उन लोगों को श्रद्धांजलि देना, जिन्होंने अपनी जान गंवाई, और साथ ही शहरवासियों को ये भरोसा दिलाना कि वो अकेले नहीं हैं।

इन पोस्टरों पर लिखा है, ‘ये शहर उतना ही टूटा है, जितना वो विमान।’ ये पंक्तियां पढ़ते ही आंखें नम हो जाती हैं। ये शब्द सिर्फ दर्द को बयां नहीं करते, बल्कि उस हिम्मत को भी जगाते हैं, जो अहमदाबाद की रग-रग में बस्ती है।

शहर की खामोशी और उसका दर्द

आज अहमदाबाद की सड़कों पर वैसी चहल-पहल नहीं है। लोग एक-दूसरे से बात करने से कतरा रहे हैं, शायद इसलिए कि कोई भी उस दर्द को शब्दों में बयां नहीं करना चाहता। हर कोई उस मंजर को भूलना चाहता है, लेकिन वो तस्वीरें, वो आवाजें, वो धुंधला सा धुआं… सब कुछ बार-बार आंखों के सामने आ जाता है।

किसी ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा शहर ऐसा दिन देखेगा। हम तो बस अपने काम में लगे थे, और अचानक सब कुछ खत्म हो गया।” एक बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे, जब वो बता रहे थे कि कैसे उन्होंने अपने पड़ोसी को खो दिया।

फिर भी, अहमदाबाद रुकेगा नहीं

हादसे के 28 घंटे बाद ब्लैक बॉक्स मिला है। जांच शुरू हो चुकी है। AAIB, अमेरिका और ब्रिटेन की टीमें इस हादसे की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन क्या ये जांच उन परिवारों का दर्द कम कर पाएगी, जिन्होंने अपने अपनों को खोया? शायद नहीं। फिर भी, अहमदाबाद के लोग एक-दूसरे का सहारा बन रहे हैं। वो अपने आंसुओं को पोंछकर, अपने हौसले को बटोरकर फिर से खड़े होने की तैयारी कर रहे हैं।

एक शहर, जो हार नहीं मानेगा

अहमदाबाद का इतिहास गवाह है कि ये शहर हर मुश्किल से उबरा है। चाहे वो भूकंप हो, दंगे हों, या कोई और आपदा, अहमदाबाद ने हमेशा अपने हौसले से दुनिया को हैरान किया है। आज भले ही शहर का दिल टूटा हो, लेकिन वो फिर से जुड़ेगा। वो फिर से हंसेगा, गाएगा, और अपनी रौनक वापस लाएगा।

उन पोस्टरों की हर एक पंक्ति, हर एक शब्द, अहमदाबाद के लोगों को ये यकीन दिला रहा है कि वो अकेले नहीं हैं। पूरा देश, पूरी दुनिया उनके साथ है। इस दुख की घड़ी में हम सब अहमदाबाद के साथ खड़े हैं।

हौसला रखना अहमदाबाद… तुम वो शहर हो, जो टूटकर भी बिखरता नहीं।

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